A blog about hindu dharam, Hindu Itihas, religion, thoghts, culture, amazing fact about hindu dharam, gods, devi, devta, pooja, festivals, Amazing and Interesting Facts & Stories In Hindi

Breaking

Post Top Ad

Your Ad Spot

Tuesday, August 30

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग- कुंभकर्ण के पुत्र को मार कर यहां स्थापित हुए थे भगवान शिव

Bhimashankar Jyotirling Hindi Story : भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पीछे कुंभकर्ण के पुत्र भीम की एक कथा प्रसिद्ध है।

ऐसे हुई थी यहां ज्योतिर्लिंग की स्थापना

कहा जाता है कि कुंभकर्ण के एक पुत्र का नाम भीम था। कुंभकर्ण को कर्कटी नाम की एक महिला पर्वत पर मिली थी। उसे देखकर कुंभकर्ण उस पर मोहित हो गया और उससे विवाह कर लिया। विवाह के बाद कुंभकर्ण लंका लौट आया, लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रही। कुछ समय बाद कर्कटी को भीम नाम का पुत्र हुआ। जब श्रीराम ने कुंभकर्ण का वध कर दिया तो कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं के छल से दूर रखने का फैसला किया।



बड़े होने पर जब भीम को अपने पिता की मृत्यु का कारण पता चला तो उसने देवताओं से बदला लेने का निश्चय कर लिया। भीम ने ब्रह्मा जी की तपस्या करके उनसे बहुत ताकतवर होने का वरदान प्राप्त कर लिया। कामरूपेश्वप नाम के राजा भगवान शिव के भक्त थे। एक दिन भीम ने राजा को शिवलिंग की पूजा करते हुए देख लिया। भीम ने राजा को भगवान की पूजा छोड़ उसकी पूजा करने को कहा। राजा के बात न मानने पर भीम ने उन्हें बंदी बना लिया। राजा ने कारागार में ही शिवलिंग बना कर उनकी पूजा करने लगा। जब भीम ने यह देखा तो उसने अपनी तलवार से राजा के बनाए शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया। ऐसा करने पर शिवलिंग में से स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव और भीम के बीच घोर युद्ध हुआ, जिसमें भीम की मृत्यु हो गई। फिर देवताओं ने भगवान शिव से हमेशा के लिए उसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की। देवताओं के कहने पर शिव लिंग के रूप में उसी स्थान पर स्थापित हो गए। इस स्थान पर भीम से युद्ध करने की वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमशंकर पड़ गया।

ऐसा है मंदिर का स्वरूप

भीमशंकर मंदिर बहुत ही प्राचीन है, लेकिन यहां के कुछ भाग का निर्माण नया भी है। इस मंदिर के शिखर का निर्माण कई प्रकार के पत्थरों से किया गया है। यह मंदिर मुख्यतः नागर शैली में बना हुआ है। मंदिर में कहीं-कहीं इंडो-आर्यन शैली भी देखी जा सकती है।

मंदिर की दीवारों की कलाकारी

देवी पार्वती का मंदिर भी है यहां

भीमशंकर मंदिर से पहले ही शिखर पर देवी पार्वती का एक मंदिर है। इसे कमलजा मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि इसी स्थान पर देवी ने राक्षस त्रिपुरासुर से युद्ध में भगवान शिव की सहायता की थी। युद्ध के बाद भगवान ब्रह्मा ने देवी पार्वती की कमलों से पूजा की थी।



मंदिर के पास स्थित है कई कुंड

यहां के मुख्य मंदिर के पास मोक्ष कुंड, सर्वतीर्थ कुंड, ज्ञान कुंड, और कुषारण्य कुंड भी स्थित है। इनमें से मोक्ष नामक कुंड को महर्षि कौशिक से जुड़ा हुआ माना जाता है और कुशारण्य कुंड से भीम नदी का उद्गम माना जाता है।

कब जाएं

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए साल का कोई भी समय चुना जा सकता है। महाशिवरात्रि के समय यहां पर विशेष मेला लगता है।

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के आस-पास घूमने के स्थान



1. हनुमान तालाब- भीमशंकर मंदिर से कुछ दूरी पर हनुमान तालाब नामक स्थान है।
2. गुप्त भीमशंकर- भीमशंकर मंदिर से कुछ दूरी पर गुप्त भीमशंकर स्थित है।
3. कमलजा देवी- भीमशंकर मंदिर से पहले देवी पार्वती का कमलजा नामक एक मंदिर है।

Source

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Your Ad Spot

Pages