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Tuesday, August 2

ममलेश्वर महादेव मंदिर – यहां है 200 ग्राम वजनी गेहूं का दाना

क्या आपने कभी 200 ग्राम वजन का गेंहूं का दाना देखा है वो भी महाभारत काल का यानी की 5000 साल पुराना? यदि नहीं तो आप इसे स्वयं अपनी आँखों से देख सकते है , इसके लिए आपको जाना पड़ेगा ममलेश्वर महादेव मंदिर जो की हिमाचल प्रदेश की करसोगा घाटी के ममेल गांव में स्तिथ है।  हिमाचल प्रदेश जिसे की देव भूमि भी कहा,  के प्रत्येक कोने में कोई न कोई प्राचीन मंदिर स्तिथ है।  उनी में से एक है ममलेश्वर महादेव मंदिर जो की भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर का संबंध पांडवो से भी है क्योकि पांडवो ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय इसी गाँव में बिताया था।

महाभारत कालीन 200 ग्राम वजनी गेंहूं का दाना 

Mamleshwar Mahadev Temple Karsog, Himachal Pradesh Hindi History

ममलेश्वर महादेव मंदिर
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Mamleshwar Mahadev Temple Hisory
Mamleshwar Mahadev Temple Story

भीम ने यहां मारा था एक राक्षस को :

इस मंदिर में एक धुना है जिसके बारे में मान्यता है की ये महाभारत काल से निरंतर जल रहा है। इस अखंड धुनें के पीछे एक कहानी है की जब पांडव अज्ञातवास में घूम रहे थे तो वे कुछ समय के लिए इस गाँव में रूके । तब इस गांव में एक राक्षस ने एक गुफा में डेरा जमाया हुआ था । उस राक्षस के प्रकोप से बचने के लिये लोगो ने उस राक्षस के साथ एक समझौता किया हुआ था कि वो रोज एक आदमी को खुद उसके पास भेजेंगें उसके भोजन के लिये जिससे कि वो सारे गांव को एक साथ ना मारे । एक दिन उस घर के लडके का नम्बर आया जिसमें पांडव रूके हुए थे । उस लडके की मां को रोता देख पांडवो ने कारण पूछा तो उसने बताया कि आज मुझे अपने बेटे को राक्षस के पास भेजना है । अतिथि के तौर पर अपना धर्म निभाने के लिये पांडवो में से भीम उस लडके की बजाय खुद उस राक्षस के पास गया । भीम जब उस राक्षस के पास गया तो उन दोनो में भयंकर युद्ध हुआ और भीम ने उस राक्षस को मारकर गांव को उससे मुक्ति दिलाई कहते है की भीम की इस विजय की याद में ही यह अखंड धुना चल रहा है।

अखंड धुना  

Akhand Dhuna
पांडवो से गहरा नाता :

जैसा की हमने ऊपर कहा की इस मंदिर का पांडवो से गहरा नाता है।  इस मंदिर में एक प्राचीन ढोल है जिसके बारे में कहा जाता है की ये भीम का ढोल है।  इसके अलावा मंदिर में स्थापित पांच शिवलिंगों के बारे में कहा जाता है की इसकी स्थापना स्वयं पांडवों ने की थी। और सबसे प्रमुख गेंहूँ का दाना है जिसे की पांडवों का बताया जाता है।  यह गेंहूँ का दाना पुजारी के पास रहता है। यदि आप मंदिर जाए और आपको यह देखना हो तो आपको इसके लिए पुजारी से कहना पड़ेगा। पुरात्तव विभाग भी इन सभी चीज़ों की अति प्राचीन होने की पुष्टि कर चूका है।

प्राचीन ढोल

Ancient Dhol (Prachin dhol)

पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग

Pandavas Shivling
पास ही एक मंदिर जिसमे दी जाती नर बलि :

इस मंदिर के पास एक प्राचीन विशाल मंदिर और है  जो की सदियों से बंद पड़ा है माना जाता है कि इस मंदिर में प्राचीन समय में भूडा यज्ञ किया जाता था जिसमे की नर बलि भी दी जाती थी। तब भी इस मंदिर में केवल पुजारीयो को ही प्रवेश की अनुमति थी। अब भी  इस मंदिर में केवल पुजारी वर्ग को ही जाने की आज्ञा है।

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I am Gagan Rana

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