Palmistry Heart Line in Hindi : प्रेम और संतान के जन्म के बारे में बताती है यह रेखा – किसी भी हथेली में हृदय रेखा वह रेखा है जो दिल से जुड़ी भावनाओं के विषय में बतलाती है। साथ ही किसी पुरुष के हाथ में हृदय रेखा संतान के जन्म के बारे में बतलाती है। जानते हैं हृदय रेखा के कौन से लक्षण क्या प्रभाव देते हैं।
कहां होती है हृदय रेखा
आमतौर पर किसी भी हथेली में हृदय रेखा तर्जनी उंगली या मध्यमा उंगली से शुरू होकर बुध पर्वत के नीचे तक जाती है।
1. हृदय रेखा तर्जनी और मध्यमा उंगली के बीच से शुरू हुई हो तो स्वभाव के सच्चे व शांत होने के बारे में बतलाती है।
2. किसी पुरुष के हाथ में हृदय रेखा संतान के होने या न होने के बारे में बतलाती है। हृदय रेखा अंतिम सिरे (बुध पर्वत के नीचे) पर श्रृंखलाकार हो रही हो तो यह लक्षण संतानोत्पत्ति का है। श्रृंखलाकार नहीं होने पर या तो संतान नहीं होती है या लंबे समय बाद संतान का जन्म होता है। यदि दोनों हाथों की हथेलियों में हृदय रेखा की यह स्थिति हो। तब यह लक्षण अधिक प्रभावी हो सकता है।
नोटः हथेली पर और भी कई निशान होते हैं, जिनसे संतान के जन्म के बारे में जाना जा सकता है। हथेली पर गुरु पर्वत और बुध पर्वत पर पाई जाने वाली विवाह रेखा व शुक्र पर्वत से संतान से जुड़ी बातों के बारे में अध्ययन किया जा सकता है।
3. हृदय रेखा शनि क्षेत्र से शुरू हुई होे और सूर्य पर्वत तक पंहुच रही हो तो प्रेम में वासना होती है। ऐसा योग होने पर पूरी तरह से स्वार्थी व्यवहार हो सकता है।
4. हृदय रेखा एक छोर से शुरु होकर दूूसरे छोर तक जाए। वर्तमान में जीने वाला स्वभाव होता है। सपनों की दुनिया से दूर रहते हैं। स्वभाव से भावुक व ईष्र्यालु भी हो सकते हैं।
5. हृदय रेखा का लाल होना और अधिक गहरा होने से स्वभाव से तेज हो सकते हैं। किसी बुरी आदत का शिकार भी बन सकते हैं।
6. दो हृदय रेखा हो। लेकिन उनमें किसी भी प्रकार का दोष न हो तो बुद्धि सात्विक होती है।
7. हृदय रेखा का मध्य में टूटना प्रेम संबंधो में बिखराव हो सकता है।
8. हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा दोनो एक छोर से शुरु होकर हथेली के दूसरे छोर पर तक जाए तो किसी की परवाह नहीं करने वाला स्वभाव हो सकता है।
9. हृदय रेखा पतली हो। गहरी न होकर हल्की होने से स्वभाव रुखा हो सकता है।
10. यदि हृदय रेखा गुरु पर्वत से शुरू होती है। तो यह दृढ़ निश्चयी और आदर्शवादी होने का संकेत है।
11. हृदय रेखा तर्जनी उंगली के मूल से शुरू हो तो मानसिक रुप से परेशान रह सकते हैं।
12. हृदय रेखा से छोटी-छोटी रेखाएं निकलकर मस्तिष्क रेखा की ओर जाए। यह स्थिति प्रेम संबंधो पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करने की ओर इशारा करती है।
13. हथेली में हृदय रेखा न हो या बहुत छोटी हो तो यह प्रेम संबंधों में असफलता मिल सकती है।
हथेली में पर्वतों की स्थिति
– तर्जनी उंगली के नीचे गुरु पर्वत होता है।
– मध्यमा उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है।
– अनामिका उंगली के नीचे सूर्य पर्वत होता है।
– सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध पर्वत होता है।
– अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत होता है।
– शुक्र पर्वत के सामने हथेली के दूसरी ओर चंद्र पर्वत होता है।
– चंद्र पर्वत और बुध पर्वत के मध्य मंगल पर्वत रहता है।
विशेष- हथेली पर पाए जाने वाले पर्वतों, रेखाओं के कारण हृदय रेखा से प्राप्त होने वाले परिणामों में अंतर आ जाता है। गुरु पर्वत, शुक्र पर्वत और विवाह रेखा से प्राप्त होने वाले परिणामों का गहरा प्रभाव हृदय रेखा पर पड़ता है। साथ ही समय के साथ-साथ हाथों की रेखाओं में भी परिवर्तन होते हैं। इसलिए परिणामों को स्थायी नहीं कहां जा सकता है।
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कहां होती है हृदय रेखा
आमतौर पर किसी भी हथेली में हृदय रेखा तर्जनी उंगली या मध्यमा उंगली से शुरू होकर बुध पर्वत के नीचे तक जाती है।
1. हृदय रेखा तर्जनी और मध्यमा उंगली के बीच से शुरू हुई हो तो स्वभाव के सच्चे व शांत होने के बारे में बतलाती है।
2. किसी पुरुष के हाथ में हृदय रेखा संतान के होने या न होने के बारे में बतलाती है। हृदय रेखा अंतिम सिरे (बुध पर्वत के नीचे) पर श्रृंखलाकार हो रही हो तो यह लक्षण संतानोत्पत्ति का है। श्रृंखलाकार नहीं होने पर या तो संतान नहीं होती है या लंबे समय बाद संतान का जन्म होता है। यदि दोनों हाथों की हथेलियों में हृदय रेखा की यह स्थिति हो। तब यह लक्षण अधिक प्रभावी हो सकता है।
नोटः हथेली पर और भी कई निशान होते हैं, जिनसे संतान के जन्म के बारे में जाना जा सकता है। हथेली पर गुरु पर्वत और बुध पर्वत पर पाई जाने वाली विवाह रेखा व शुक्र पर्वत से संतान से जुड़ी बातों के बारे में अध्ययन किया जा सकता है।
3. हृदय रेखा शनि क्षेत्र से शुरू हुई होे और सूर्य पर्वत तक पंहुच रही हो तो प्रेम में वासना होती है। ऐसा योग होने पर पूरी तरह से स्वार्थी व्यवहार हो सकता है।
4. हृदय रेखा एक छोर से शुरु होकर दूूसरे छोर तक जाए। वर्तमान में जीने वाला स्वभाव होता है। सपनों की दुनिया से दूर रहते हैं। स्वभाव से भावुक व ईष्र्यालु भी हो सकते हैं।
5. हृदय रेखा का लाल होना और अधिक गहरा होने से स्वभाव से तेज हो सकते हैं। किसी बुरी आदत का शिकार भी बन सकते हैं।
6. दो हृदय रेखा हो। लेकिन उनमें किसी भी प्रकार का दोष न हो तो बुद्धि सात्विक होती है।
7. हृदय रेखा का मध्य में टूटना प्रेम संबंधो में बिखराव हो सकता है।
8. हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा दोनो एक छोर से शुरु होकर हथेली के दूसरे छोर पर तक जाए तो किसी की परवाह नहीं करने वाला स्वभाव हो सकता है।
9. हृदय रेखा पतली हो। गहरी न होकर हल्की होने से स्वभाव रुखा हो सकता है।
10. यदि हृदय रेखा गुरु पर्वत से शुरू होती है। तो यह दृढ़ निश्चयी और आदर्शवादी होने का संकेत है।
11. हृदय रेखा तर्जनी उंगली के मूल से शुरू हो तो मानसिक रुप से परेशान रह सकते हैं।
12. हृदय रेखा से छोटी-छोटी रेखाएं निकलकर मस्तिष्क रेखा की ओर जाए। यह स्थिति प्रेम संबंधो पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करने की ओर इशारा करती है।
13. हथेली में हृदय रेखा न हो या बहुत छोटी हो तो यह प्रेम संबंधों में असफलता मिल सकती है।
हथेली में पर्वतों की स्थिति
– तर्जनी उंगली के नीचे गुरु पर्वत होता है।
– मध्यमा उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है।
– अनामिका उंगली के नीचे सूर्य पर्वत होता है।
– सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध पर्वत होता है।
– अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत होता है।
– शुक्र पर्वत के सामने हथेली के दूसरी ओर चंद्र पर्वत होता है।
– चंद्र पर्वत और बुध पर्वत के मध्य मंगल पर्वत रहता है।
विशेष- हथेली पर पाए जाने वाले पर्वतों, रेखाओं के कारण हृदय रेखा से प्राप्त होने वाले परिणामों में अंतर आ जाता है। गुरु पर्वत, शुक्र पर्वत और विवाह रेखा से प्राप्त होने वाले परिणामों का गहरा प्रभाव हृदय रेखा पर पड़ता है। साथ ही समय के साथ-साथ हाथों की रेखाओं में भी परिवर्तन होते हैं। इसलिए परिणामों को स्थायी नहीं कहां जा सकता है।
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