Pitra dosh nivaran ke upay in Hindi: हिंदू धर्म में श्राद्ध की व्यवस्था इसलिए की गई है कि मनुष्य साल में एक बार अपने पितरों को याद कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके। श्राद्ध का अर्थ अपने पितरों से प्रति व्यक्त की गई श्रद्धा से है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, उसके लिए भी श्राद्ध पक्ष का समय विशेष होता है क्योंकि इन 16 दिनों में किए गए कर्मों के आधार पर ही पितृ दोष से मुक्ति मिलना संभव है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो लोग श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण, पिण्डदान व श्राद्ध नहीं करते, उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उनमें से कुछ समस्या इस प्रकार है-
1. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनके यहां संतान होने में समस्याएं आती हैं। कई बार तो संतान पैदा ही नहीं होती और यदि संतान हो जाए तो उनमें से कुछ अधिक समय तक जीवित नहीं करती है।
2. पितृ दोष होने के कारण ऐसे लोगों को हमेशा धन की कमी रहती है। किसी न किसी रूप में धन की हानि होती रहती है।
3. जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनकी शादी होने में कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।
4. घर-परिवार में किसी न किसी कारण झगड़ा होता रहता है। परिवार के सदस्यों में मनमुटाव बना रहता है व मानसिक अशांति के कारण जीना दूभर हो जाता है।
5. यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक किसी मुकद्में में उलझा रहे या बिना किसी कारण उसे कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटना पड़े तो ये भी पितृ दोष का कारण हो सकता है।
6. पितृ दोष होने पर परिवार का एक न एक सदस्य निरंतर रूप से बीमार रहता है। यह बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती।
7. पितृ दोष होने के कारण कन्या के विवाह में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है या तो कन्या का विवाह जल्दी नहीं होता या फिर मनचाहा वर नहीं मिल पाता।
उपरोक्त में से एक न एक बाधा पितृ दोष के कारण बनी रहती है।
पितृ दोष निवारण के उपाय
1. अगर श्राद्ध करने वाले की साधारण आय हो तो वह पितरों के श्राद्ध में केवल एक ब्राह्मण को भोजन कराए या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा दान करें। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
2. अगर कोई व्यक्ति गरीब हो और चाहने पर भी धन की कमी से पितरों का श्राद्ध करने में समर्थ न हो पाए तो वह किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण करे। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।
3. विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने मात्र से भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
4. अगर कोई व्यक्ति ऊपर बताए गए उपायों को करने में भी किसी कारणवश कठिनाई महसूस करे तो वह पितरों को याद कर गाय को चारा खिला दे। इससे भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
5. इतना भी संभव न हो तो सूर्यदेव को हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि मैं श्राद्ध के लिए जरूरी धन और साधन न होने से पितरों का श्राद्ध करने में असमर्थ हूं। इसलिए आप मेरे पितरों तक मेरा भावनाओं और प्रेम से भरा प्रणाम पहुंचाएं और उन्हें तृप्त करें।
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उनमें से कुछ समस्या इस प्रकार है-
1. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनके यहां संतान होने में समस्याएं आती हैं। कई बार तो संतान पैदा ही नहीं होती और यदि संतान हो जाए तो उनमें से कुछ अधिक समय तक जीवित नहीं करती है।
2. पितृ दोष होने के कारण ऐसे लोगों को हमेशा धन की कमी रहती है। किसी न किसी रूप में धन की हानि होती रहती है।
3. जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनकी शादी होने में कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।
4. घर-परिवार में किसी न किसी कारण झगड़ा होता रहता है। परिवार के सदस्यों में मनमुटाव बना रहता है व मानसिक अशांति के कारण जीना दूभर हो जाता है।
5. यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक किसी मुकद्में में उलझा रहे या बिना किसी कारण उसे कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटना पड़े तो ये भी पितृ दोष का कारण हो सकता है।
6. पितृ दोष होने पर परिवार का एक न एक सदस्य निरंतर रूप से बीमार रहता है। यह बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती।
7. पितृ दोष होने के कारण कन्या के विवाह में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है या तो कन्या का विवाह जल्दी नहीं होता या फिर मनचाहा वर नहीं मिल पाता।
उपरोक्त में से एक न एक बाधा पितृ दोष के कारण बनी रहती है।
पितृ दोष निवारण के उपाय
1. अगर श्राद्ध करने वाले की साधारण आय हो तो वह पितरों के श्राद्ध में केवल एक ब्राह्मण को भोजन कराए या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा दान करें। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
2. अगर कोई व्यक्ति गरीब हो और चाहने पर भी धन की कमी से पितरों का श्राद्ध करने में समर्थ न हो पाए तो वह किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण करे। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।
3. विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने मात्र से भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
4. अगर कोई व्यक्ति ऊपर बताए गए उपायों को करने में भी किसी कारणवश कठिनाई महसूस करे तो वह पितरों को याद कर गाय को चारा खिला दे। इससे भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
5. इतना भी संभव न हो तो सूर्यदेव को हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि मैं श्राद्ध के लिए जरूरी धन और साधन न होने से पितरों का श्राद्ध करने में असमर्थ हूं। इसलिए आप मेरे पितरों तक मेरा भावनाओं और प्रेम से भरा प्रणाम पहुंचाएं और उन्हें तृप्त करें।
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