A blog about hindu dharam, Hindu Itihas, religion, thoghts, culture, amazing fact about hindu dharam, gods, devi, devta, pooja, festivals, Amazing and Interesting Facts & Stories In Hindi

Post Top Ad

Monday, August 1

चूड़ामणि देवी मंदिर- मान्यता है की इस मदिर में चोरी करने पर ही पूरी होती है मनोकामना

मान्यता है की इस मदिर में चोरी करने पर ही पूरी होती है मनोकामना – कहा जाता है कि चोरी करना पाप है और इस पर यदि कोई मंदिर में चोरी करे तो मामला बिल्कुल वैसा ही होगा जैसे करेला वो भी नीम चढ़ा यानी महापाप। देव भूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में कई प्राचीन मंदिर है। इन्हीं में से एक अनोखा मंदिर है सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी मंदिर।

जहां से जुड़ी मान्यता है कि यहां चोरी करने पर हर शख्स की मनोकामना पूरी होती है। रुड़की के चुड़ियाला गांव स्थित प्राचीन सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी मंदिर में पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले पति-पत्नी माथा टेकने आते हैं।
चोरी करने की है मान्यता

मान्यता है कि जिन्हें पुत्र की चाह होती है वह जोड़ा यदि मंदिर में आकर माता के चरणों से लोकड़ा (लकड़ी का गुड्डा) चोरी करके अपने साथ ले जाए तो बेटा होता है। उसके बाद बेटे के साथ माता-पिता को यहां माथा टेकने आना होता है। कहा जाता है कि पुत्र होने पर भंडारा कराने के साथ ही दंपति अषाढ़ माह में ले जाए हुए लोकड़े के साथ ही एक अन्य लोकड़ा भी अपने पुत्र के हाथों से चढ़ावाना नहीं भूलते। गांव के लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 1805 में लंढौरा रियासत के राजा ने करवाया था।
चूड़ामणि देवी कथा

एक बार राजा शिकार करने जंगल में आए हुए थे कि घूमते-घूमते उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए। राजा के कोई पुत्र नहीं था। इसलिए राजा ने उसी समय माता से पुत्र प्राप्ति की मन्नत मांगी। राजा की इच्छा पूरी होने पर उन्होंने यहां मंदिर का निर्माण करवाया। यहां के बारे में प्रचलित कथा है कि माता सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किए जाने से नाराज माता सती ने यज्ञ में कूदकर यज्ञ को विध्वंस कर दिया था।

भगवान शिव जब माता सती के मृत शरीर को लेकर जा रहे थे, तब माता का चूड़ा इस घनघोर जंगल में गिर गया था, जिसके बाद यहां पर माता की पिंडी स्थापित होने के साथ ही भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। यह प्राचीन सिद्ध पीठ मंदिर कालांतर से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां माता के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दूरदराज से आते हैं। इन दिनों मंदिर में भव्य मेले का आयोजन भी होता है।
शेर भी रोजाना टेकने आते थे पिंडी पर मत्था

जहां आज भव्य मंदिर बना हुआ है, पहले यहां घनघोर जंगल हुआ करता था।  जहां शेरो की दहाड़ सुनाई पड़ती थी।  पुराने जानकार बताते है की माता की पिंडी पर रोजाना शेर भी मत्था टेकने आते थे।
बाबा बनखंडी का भी है धाम

माता चूड़ामणि के अटूट भक्त रहे बाबा बनखंडी का भी मंदिर परिसर में समाधि स्थल है।  बताया जाता है की बाबा बनखंडी महान भक्त एवं संत हुए है।  इन्होने यही 1909 में समाधी ली थी।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Pages