आइये जानते है सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर मोहनजो दड़ो से जुड़े कुछ फैक्ट्स-
1. इसका वास्तविक नाम ‘मोहन जो डरो’ नहीं है, वास्तव में इसे ‘मोयन जो दड़ो’ कहा जाता था, जो सिंधी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब ‘मुर्दों का टीला’ है। ये सिंध, पाकिस्तान में है। वहां के लोग इसे मुर्दों का टीला कहते थे। शायद उन्हें इसका इतिहास पहले से पता था।
2. ऐसा माना जाता है की ईसा पूर्व 26 वि सदी में इसकी स्थापना की गई थी। यानी ये करीब 4600 साल पुराना है।
. ये सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पुराना और नियोजित शहर था। इसकी खोज राखालदास बनर्जी ने 1922 ई. में की थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक सर जॉन मार्शल ने यहां खुदाई करवाई थी।
4. यहां पर 8 फ़ीट गहरा, 23 फ़ीट चौड़ा और 30 फ़ीट लम्बा कुंड भी है। इसमें वाटरप्रूफ ईंट लगी हुई है। ऐसा माना जाता है कि इसका इस्तेमाल नहाने के लिए किया जाता था। यह विश्व का सबसे प्राचीनतम स्नानघर है।
5. हड़प्पा के निवासी घरों और नगरों के निर्माण के लिए ग्रीड पद्धति का इस्तेमाल करते थे। यहां बड़े घर, चौड़ी सड़के और बहुत सारे कुएं होने के प्रमाण है।
6. खुदाई के वक़्त यहां ईमारतें, धातुओं की मूर्तियां और मुहरें आदि मिली है। जिसमे सबसे प्रमुख नर्तकी की मूर्ति है।
7. मोहनजो दड़ो के संग्रहालय में काला पड़ गया गेहूं, तांबे और कासे के बर्तन, मुहर, चौपड़ की गोटियां, दिए, माप-तौल के पत्थर, तांबे का आईना, मिटटी की बैलगाड़ी और दूसरे खिलौने, दो पाटन वाली चक्की, कंघी, मिटटी के कंगन, पत्थर के औजार है।
8. मोहनजो दड़ो की सड़कों और गलियों में आज भी घुमा जा सकता है। यहां की दीवारें आज भी काफी मजबूत है। इसे भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप कहा गया है। यहां पर बौद्ध स्तूप भी बने हैं।
9. यहां खेती और पशुपालन सभ्यता रही है। सिंध के पत्थर और राजस्थान के तांबे से बनाए गए उपकरण यहां खेती करने के लिए काम में लिए जाते थे। हल से खेत जोतने के साक्ष्य कालीबंगा में मिले हैं।
10. यहां के लोग शतरंज का खेल जानते थे।
11. ऐसा माना जाता है कि ये शहर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था।
12. मोहनजो दरो के निवासी तांबे के बारे में जानते थे पर लोहे के बारे में नहीं जानते थे।
13. दुनिया में सूत के दो सबसे पुराने कपड़ों में से एक का नमूना यहाँ पर ही मिला था।
14. इतिहासकारों के अनुसार कि मोहनजो दड़ो सिंघु घाटी सभ्यता में पहली संस्कृति है जो कि कुएँ खोद कर भू-जल तक पहुँची। मोहनजो दड़ो में करीब 700 कुएँ थे।
15. यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है।
1. इसका वास्तविक नाम ‘मोहन जो डरो’ नहीं है, वास्तव में इसे ‘मोयन जो दड़ो’ कहा जाता था, जो सिंधी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब ‘मुर्दों का टीला’ है। ये सिंध, पाकिस्तान में है। वहां के लोग इसे मुर्दों का टीला कहते थे। शायद उन्हें इसका इतिहास पहले से पता था।
2. ऐसा माना जाता है की ईसा पूर्व 26 वि सदी में इसकी स्थापना की गई थी। यानी ये करीब 4600 साल पुराना है।
. ये सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पुराना और नियोजित शहर था। इसकी खोज राखालदास बनर्जी ने 1922 ई. में की थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक सर जॉन मार्शल ने यहां खुदाई करवाई थी।
4. यहां पर 8 फ़ीट गहरा, 23 फ़ीट चौड़ा और 30 फ़ीट लम्बा कुंड भी है। इसमें वाटरप्रूफ ईंट लगी हुई है। ऐसा माना जाता है कि इसका इस्तेमाल नहाने के लिए किया जाता था। यह विश्व का सबसे प्राचीनतम स्नानघर है।
5. हड़प्पा के निवासी घरों और नगरों के निर्माण के लिए ग्रीड पद्धति का इस्तेमाल करते थे। यहां बड़े घर, चौड़ी सड़के और बहुत सारे कुएं होने के प्रमाण है।
6. खुदाई के वक़्त यहां ईमारतें, धातुओं की मूर्तियां और मुहरें आदि मिली है। जिसमे सबसे प्रमुख नर्तकी की मूर्ति है।
7. मोहनजो दड़ो के संग्रहालय में काला पड़ गया गेहूं, तांबे और कासे के बर्तन, मुहर, चौपड़ की गोटियां, दिए, माप-तौल के पत्थर, तांबे का आईना, मिटटी की बैलगाड़ी और दूसरे खिलौने, दो पाटन वाली चक्की, कंघी, मिटटी के कंगन, पत्थर के औजार है।
8. मोहनजो दड़ो की सड़कों और गलियों में आज भी घुमा जा सकता है। यहां की दीवारें आज भी काफी मजबूत है। इसे भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप कहा गया है। यहां पर बौद्ध स्तूप भी बने हैं।
9. यहां खेती और पशुपालन सभ्यता रही है। सिंध के पत्थर और राजस्थान के तांबे से बनाए गए उपकरण यहां खेती करने के लिए काम में लिए जाते थे। हल से खेत जोतने के साक्ष्य कालीबंगा में मिले हैं।
10. यहां के लोग शतरंज का खेल जानते थे।
11. ऐसा माना जाता है कि ये शहर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था।
12. मोहनजो दरो के निवासी तांबे के बारे में जानते थे पर लोहे के बारे में नहीं जानते थे।
13. दुनिया में सूत के दो सबसे पुराने कपड़ों में से एक का नमूना यहाँ पर ही मिला था।
14. इतिहासकारों के अनुसार कि मोहनजो दड़ो सिंघु घाटी सभ्यता में पहली संस्कृति है जो कि कुएँ खोद कर भू-जल तक पहुँची। मोहनजो दड़ो में करीब 700 कुएँ थे।
15. यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है।
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