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Thursday, August 4

राम-जानकी मंदिर – सेतगंगा (छत्तीसगढ़) – यहाँ भगवान राम के द्वारपाल है रावण, करते है भगवन राम कि सुरक्षा

Ram Janaki Temple, Ram Tekri, History In Hindi : आप लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि भारतवर्ष में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां रावण भगवान राम के द्वारपाल के रूप में पूजे जाते हैं। मुंगेली जिले में सिंगारपुरी से पहले सेतगंगा नामक स्थान में 18 वीं शताब्दी में निर्मित रामजानकी मंदिर अपनी कई खूबियों के चलते प्रसिद्ध है। काले पत्थर में खूबसूरत शिल्प के साथ-साथ रावण की प्रतिमा के चलते मंदिर की चर्चा देशभर में होती है।




पुराणों में भगवान राम और रावण की शत्रुता का उल्लेख है। यह बैर इस मंदिर में मिट गया है। रावण की प्रतिमा को द्वारपाल के रूप में स्थापित करने के पीछे मंशा यही है कि कोई भी व्यक्ति ज्ञानी रावण की अच्छाइयों को जानने और अपने भीतर के अहंकार को मिटाने के बाद ही मंदिर में प्रवेश करें।

काले पत्थरों पर अद्भुत शिल्प :-
वर्ष 1751 में निर्मित मंदिर के परिसर में कुंड का निर्माण किया गया है। इससे आगे जाने पर भगवान जगन्नाथ स्वामी का मंदिर है। इससे कुछ दूरी पर रामजानकी का प्राचीन मंदिर है। इसी मंदिर के भीतर काले पत्थरों पर प्राचीन शिल्पकला आकर्षण का केंद्र है। गर्भगृह के भीतर पिल्लरों पर अद्भुत कलाकृतियां उकेरी गईं हैं। इनकी नक्काशी में भी दिशाओं का ख्याल रखा गया है।




ऐसे हुई मंदिर की स्थापना :-
सीएमडी कॉलेज में ज्योग्राफी के एचओडी डा. पीएल चंद्राकर के मुताबिक वर्ष 1751 में पंडरिया के जमींदार दलसाय सिंह ने सेतगंगा का यह मंदिर बनवाया था। यहां की प्रतिमाएं पहले कामठी गांव में आगर नदी के तट पर मंदिरों में स्थापित थीं। कामठी पंडरिया की प्राचीन राजधानी रही है। राजधानी बदलने के दौरान ही ये प्रतिमाएं दलपत सिंह के महल में रखी गईं। इस बीच दलपत सिंह सेतगंगा पहुंचे। यहां उन्हें मां गंगा का स्वप्न आया और उन्होंने मंदिर बनवाकर इन प्रतिमाओं की स्थापना की। द्रविड़ राजा रावण के उपासक थे। दलसाय सिंह आदिवासी राजा रहे। यही वजह है कि उन्होंने रावण की प्रतिमा स्थापित करवाने के बाद रामजानकी मंदिर बनवाया।
Source:http://www.ajabgjab.com

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