रैसलपुर महाकाली का दरबार भक्तों की अपार आस्था केंद्र है। देश-विदेश से हजारों भक्त मां के दरबार में पहुंचते हैं और मनचाही मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसे भक्तों की लंबी सूची है जिनकी किडनी, कैंसर, लकवा व तमाम तरह की असाध्य बीमारियां मां के दरबार में अर्जी लगाने से ठीक हो गईं।
यह मां का दरबार है वह भी मां महाकाली का। यहां भक्तों की उदासी छीन ली जाती है और उसकी झोली में सुख, आरोग्य व आनंद भर दिया जाता है। भविष्य के संकटों के प्रति आगाह भी किया जाता है और उसका उपाय भी बताया जाता है। जिन बीमारियों की जांच में लाखों रुपये खर्च होते हैं, उनके बारे में महाकाली के दरबार में भक्त के पहुंचते ही सबकुछ प्रकट हो जाता है। यह दरबार 1990 में चर्चा में आया। तभी से आज तक देश-विदेश के हजारों लोगों को जीवन दान मिला है। अनेक लोगों के कैंसर, एड्स, किडनी, ट्यूमर, लकवा, मिर्गी सहित कई असाध्य बीमारियां जो मेडिकल साइंस के समझ में नहीं आ रही थीं, ठीक हुई हैं। अनेक नि:संतानों की गोद भरी है। इसका प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए स्वयं वहां एक बार जाना पड़ता है।
रैसलपुर महाकाली
दरबार में लगती है भक्तों की अर्जी
महाकाली के दरबार में जब भक्त पहुंचते हैं तो सबसे पहले एक अर्जी लगाते हैं। अर्जी के साथ एक नारियल, एक पाव गेहूं, अगरबत्ती, कपूर, फूल, नैवेद्य व दक्षिणा होती है। दरबार में महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के बैठने के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। अर्जी लगाकर श्रद्धालु बैठ जाते हैं और अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं। क्रम से सभी श्रद्धालुओं को बुलाया जाता है। अपना नंबर आने पर श्रद्धालु अपनी अर्जी लेकर गद्दी के सामने जाता है। अपने दोनों हाथों को पूरे शरीर पर तीन बार फेरता है। इसके बाद मातारानी स्वयं उस भक्त की समस्या बताने लगती हैं और उपाय भी बताती हैं। कहते हैं कि मातारानी के पास पहुंचने मात्र से ही आधी समस्या स्वत: समाप्त हो जाती है। शेष उनके द्वारा बताए गए उपायों पर अमल करने से पूरी पीड़ा छू-मंतर हो जाती है। वहां जाने पर सैकड़ों लोग ऐसे मिल जाएंगे जिनकी समस्याएं पलक झपकते दूर हुईं। ऐसी समस्याएं जो जीवन का अंग बन चुकी थीं और उनके समाप्त होने की उम्मीद टूट गई थी।
अनिष्ट को रोकने की व्यवस्था
महाकाली के दरबार में न केवल संकटों से निजात मिलती है बल्कि भविष्य में आने वाले संकटों के बारे आगाह भी किया जाता है और भक्त को एक रक्षा कवच बनाकर दिया जाता है। इसे पहनने से एक वर्ष तक कोई अनिष्ट नहीं होता है। वर्ष बीतने से पूर्व पुन: दरबार में पहुंचकर रक्षा कवच बनवाना पड़ता है।
अनेक समस्याओं का समाधान हवन
अनेक जटिल बीमारियों जिसे ठीक करने में मेडिकल साइंस ने जवाब दे दिया है, लड़के-लड़कियों की शादी में विलंब आदि के लिए दरबार में एक विशेष प्रकार की हवन करनी पड़ती है। हवन करने से समस्याएं दूर हो जाती हैं। ऊपरी बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं।
हर शनिवार को लगता है दरबार
मां महाकाली का दरबार हर शनिवार को रात 10 बजे से लगता है। दरबार में शामिल होने या अर्जी लगाने के लिए शनिवार को रात 8 बजे के पहले पहुंचना जरूरी होता है। इस दिन प्रत्येक गतिविधि की वीडियो रिकार्डिंग की जाती है।
बनता है भक्तों का रिकार्ड
महाकाली के दरबार में पहुंचने वाले भक्तों का लेखा-जोखा दरबार में रखा जाता है। जिसमें भक्त का नाम, मोबाइल नंबर, बीमारी तथा मातारानी द्वारा बताए गए उपाय लिपिबद्ध होते हैं। जब वह भक्त ठीक हो जाता है तो उसके ठीक होने का पूरा विवरण भी दर्ज किया जाता है। इस कार्य की जिम्मेदारी वहां एक सेवक को सौंपी गई है।
दरबार पहुंचने का मार्ग
रैसलपुर होशंगाबाद-इटारसी राजमार्ग पर स्थित है। रेल, बस व निजी या किराये के वाहनों से यहां सुगमता से पहुंचा जा सकता है। मार्ग तो कई हैं लेकिन इटारसी से जाना ज्यादा ठीक है। इटारसी रेलवे स्टेशन पर उतरकर वहां से 20 मिनट में महाकाली के दरबार पहुंचा जा सकता है। इसके लिए वहां हमेशा साधन उपलब्ध रहते हैं।
यह मां का दरबार है वह भी मां महाकाली का। यहां भक्तों की उदासी छीन ली जाती है और उसकी झोली में सुख, आरोग्य व आनंद भर दिया जाता है। भविष्य के संकटों के प्रति आगाह भी किया जाता है और उसका उपाय भी बताया जाता है। जिन बीमारियों की जांच में लाखों रुपये खर्च होते हैं, उनके बारे में महाकाली के दरबार में भक्त के पहुंचते ही सबकुछ प्रकट हो जाता है। यह दरबार 1990 में चर्चा में आया। तभी से आज तक देश-विदेश के हजारों लोगों को जीवन दान मिला है। अनेक लोगों के कैंसर, एड्स, किडनी, ट्यूमर, लकवा, मिर्गी सहित कई असाध्य बीमारियां जो मेडिकल साइंस के समझ में नहीं आ रही थीं, ठीक हुई हैं। अनेक नि:संतानों की गोद भरी है। इसका प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए स्वयं वहां एक बार जाना पड़ता है।
रैसलपुर महाकाली
दरबार में लगती है भक्तों की अर्जी
महाकाली के दरबार में जब भक्त पहुंचते हैं तो सबसे पहले एक अर्जी लगाते हैं। अर्जी के साथ एक नारियल, एक पाव गेहूं, अगरबत्ती, कपूर, फूल, नैवेद्य व दक्षिणा होती है। दरबार में महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के बैठने के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। अर्जी लगाकर श्रद्धालु बैठ जाते हैं और अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं। क्रम से सभी श्रद्धालुओं को बुलाया जाता है। अपना नंबर आने पर श्रद्धालु अपनी अर्जी लेकर गद्दी के सामने जाता है। अपने दोनों हाथों को पूरे शरीर पर तीन बार फेरता है। इसके बाद मातारानी स्वयं उस भक्त की समस्या बताने लगती हैं और उपाय भी बताती हैं। कहते हैं कि मातारानी के पास पहुंचने मात्र से ही आधी समस्या स्वत: समाप्त हो जाती है। शेष उनके द्वारा बताए गए उपायों पर अमल करने से पूरी पीड़ा छू-मंतर हो जाती है। वहां जाने पर सैकड़ों लोग ऐसे मिल जाएंगे जिनकी समस्याएं पलक झपकते दूर हुईं। ऐसी समस्याएं जो जीवन का अंग बन चुकी थीं और उनके समाप्त होने की उम्मीद टूट गई थी।
अनिष्ट को रोकने की व्यवस्था
महाकाली के दरबार में न केवल संकटों से निजात मिलती है बल्कि भविष्य में आने वाले संकटों के बारे आगाह भी किया जाता है और भक्त को एक रक्षा कवच बनाकर दिया जाता है। इसे पहनने से एक वर्ष तक कोई अनिष्ट नहीं होता है। वर्ष बीतने से पूर्व पुन: दरबार में पहुंचकर रक्षा कवच बनवाना पड़ता है।
अनेक समस्याओं का समाधान हवन
अनेक जटिल बीमारियों जिसे ठीक करने में मेडिकल साइंस ने जवाब दे दिया है, लड़के-लड़कियों की शादी में विलंब आदि के लिए दरबार में एक विशेष प्रकार की हवन करनी पड़ती है। हवन करने से समस्याएं दूर हो जाती हैं। ऊपरी बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं।
हर शनिवार को लगता है दरबार
मां महाकाली का दरबार हर शनिवार को रात 10 बजे से लगता है। दरबार में शामिल होने या अर्जी लगाने के लिए शनिवार को रात 8 बजे के पहले पहुंचना जरूरी होता है। इस दिन प्रत्येक गतिविधि की वीडियो रिकार्डिंग की जाती है।
बनता है भक्तों का रिकार्ड
महाकाली के दरबार में पहुंचने वाले भक्तों का लेखा-जोखा दरबार में रखा जाता है। जिसमें भक्त का नाम, मोबाइल नंबर, बीमारी तथा मातारानी द्वारा बताए गए उपाय लिपिबद्ध होते हैं। जब वह भक्त ठीक हो जाता है तो उसके ठीक होने का पूरा विवरण भी दर्ज किया जाता है। इस कार्य की जिम्मेदारी वहां एक सेवक को सौंपी गई है।
दरबार पहुंचने का मार्ग
रैसलपुर होशंगाबाद-इटारसी राजमार्ग पर स्थित है। रेल, बस व निजी या किराये के वाहनों से यहां सुगमता से पहुंचा जा सकता है। मार्ग तो कई हैं लेकिन इटारसी से जाना ज्यादा ठीक है। इटारसी रेलवे स्टेशन पर उतरकर वहां से 20 मिनट में महाकाली के दरबार पहुंचा जा सकता है। इसके लिए वहां हमेशा साधन उपलब्ध रहते हैं।
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