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Monday, March 28

If you have knowledge of anatomy then no disease will ever bother you

 यह शरीर पाँच तत्वों से बना है:—

क्षित,जल,पावक,गगन,समीरा ।
पंच तत्व यह अधम शरीरा ।।

Manav Sharir ki Sanrachna in Hindi, Sharir Rachna Vigyan,

नाभी के मध्य में ७२००० नाडियाँ हैं। शरीर में ये चक्राकार होकर स्थित हैं। शरीर को चारों तरफ से घेर रखा है। इनमें १० प्रधान नाडियाँ हैं।

दस प्रधान नाड़ियां
१-इडा
२-पिंगला
३-सुषुम्णा
४-गान्धारी
५-हस्तिजिह्वा
६-पृथा
७-यशा
८-अलम्बुषा
९-कुहू
१०-शंखिनी ।


ये दसों नाडियाँ, दसों प्राणों का वहन करती हैं ।

दस प्राण
१-प्राण
२-अपान
३-समान
४- उदान
५- व्यान
६- नाग
७-कूर्म
८-कृकर
९-देवदत्त
१०-धनंजय

१–प्राण—. सम्पूर्ण प्राणियों के ह्रदयदेश में रहकर श्वाशोच्छवास द्वारा गमनागमन करता है । श्वांश बनकर शरीर का संचालन करता है ।

२–अपान— मनुष्यों के आहार को नीचे की ओर ले जाता है ।और मूत्र एवं शुक्र आदि को भी नीचे की ओर ले जाता है ।

३—-समान — मनुष्य के खाये पिये और सूँघे हुए पदार्थों को एवं रक्त,पित्त, कफ तथा वात को सारे अंगों में समान रूप से कायम रखता है ।

४—उदान— मुख और अधरों को स्पन्दित करता है ।नेत्रों की अरूणिमा को बढाता है । ओर मर्म स्थानों को उत्तेजित करता है।

५—व्यान — शरीर के समस्त अंगों को पीडित करता है । यही व्याधि को कुपित करता है ।और कंठ को अवरूद्ध करता है ।

६—नाग— डकार,वमन, हवा छोडना इसी का काम है ।

७— कूर्म— नयनों के उन्मीलन(खोलने तथा बन्द ) करने का कम इसी का है ।

८—कृकर— भक्षण कराने तथा भोजन पचाने का कार्य इसी का है ।

९—देवदत्त—– जँभाई लेना तथा आलस्य पैदा करना इसी का काम है।

१०——-धनंजय —- यह वायु मृत शरीर का भी परित्याग नही करता है ।गर्भ में पिंड के अन्दर प्रवेश करता है जब तक शव को जलाया नही जाता है तब तक ये शरीर के अन्दर ही रहता है ।

अगर इन दसों प्राण वायु पे नियन्त्रण रखा जाये तो कभी बीमारी नही लगेगी ।

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